कबिता

ई छी मैथिल के पहचान
भरि दिन चुन-तम्बाकू खेsता
चिबबैत रहताs गुटका, पान 
जम्हरे देखु थुकैत रहताs
मार्केट, ऑफिस हो वा मकान
ई छी मैथिल के पहचान
बात-बात पर झगरैत रहताs
नहि बजवाक कोनो ठेकान 
एकबेर दोसर डपिट दैन तs 
लगताह भिजल बिलारी समान
ई छी मैथिल के पहचान
गाम छोरि परदेश बसै छैथ
तखनो नहि दोसर सs मिलान 
भरि दिन दोसरक निंदा करताs 
टांग घिचाई मे सत्तत प्रधान
ई छी मैथिल के पहचान
मैथिलि बजवा मे परहेज करताs
नहि छैन दोसर भाषा के ग्यान 
कह्बैंन ई शब्द एना बाजु तs 
कहताs हम छी कोनो अकान
ई छी मैथिल के पहचान
अप्पन मेहनत लगन के बल सs
कs लैत छैत कंपनी मे नाम
परमोसन कs बेर मे सदिखन
नहि रहैत छैन बाँस सs मिलान 
ई छी मैथिल के पहचान
सरकारी हो व गैरसरकारी
भेटत मैथिल उच्च स्थान
कोनो कजाक आस राखब तs 
नहि होयत पुरा कुनु ठाम
ई छी मैथिल के पहचान
सफल प्रत्यासी के लिस्ट मे
सब सs आगु मिथिलाधाम
हिनक लगन, प्रतिभाक आगु 
दैत अछि सब दंडप्रणाम
ई छी मैथिल के पहचान
नहि मैथिल ककरो सs पाछु 
पाछु अछि मिथिलाक गाम 
रहलै हमर भुगोल मे सदिखन
जिबछ, कोशी, कमला बालन
ई छी मैथिल के पहचान
हमर मैथिलि भाषा सन मिठगर
नहि अछि कोनो दोसर ठाम
आपस मे सब मैथिलि बाजु
चाहे लोक मुनैया कान
ई छी मैथिल के पहचान

रचनाकार:- दयाकान्त 

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