कबिता

गीत

सब बीत गेलैय दिन
सुख चैन लेलक के छिन
जिन्दगीमे बिना अहाके
पहाड भेलै जियल....
सब बीत गेलैय.....

बितल जेठक गर्मी
उडल ठोरक नर्मी
साथ अहाके बिन साजन
तरपैये पाइन बिना मछरी
सब बीत.......

सावनमे नचै कोना मोर
चर्कैय हिया बरी जोर
मुदा रुसल सजना
तकैयेने हमरा ओर
सब बीत...

देखै छि हम बाट अहाक
देखु बिते नै दिवाली छैठ
घाट पर यौ बालम
सगँे मांग्बै अपन ललनमा
सब बीत गेलैय ....

सब बीत गेलैय दिन
सुख चैन लेलक के छिन
जिन्दगीमे बिना अहाके
पहाड भेलै जियल....

दिनेश रसिया
२०७२ ८ ९

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