भोर अलग छै साँझ अलग छै
जुगनु चमकैत राईत अलग छै
सजमैन घिउरा छै ने लटकल ?
बथुआ तोरी साग अलग छै
बारहो मास त नीके छै मुदा
छईठक मासक उत्साह अलग छै
भोरे घास पर शीत देखलियै ?
सीरसीर बहैत बतास अलग छै
बारी झारी खेत कियारी
गामक साँचे बात अलग छै
पाईन मे भीजल सुगँध माईटके
गामक जीनगीके याद अलग छै...!
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