कबिता

भोर अलग छै साँझ अलग छै
जुगनु चमकैत राईत अलग छै

सजमैन घिउरा छै ने लटकल ?
बथुआ तोरी साग अलग छै

बारहो मास त नीके छै मुदा
छईठक मासक उत्साह अलग छै

भोरे घास पर शीत देखलियै ?
सीरसीर बहैत बतास अलग छै

बारी झारी खेत कियारी
गामक साँचे बात अलग छै

पाईन मे भीजल सुगँध माईटके
गामक जीनगीके याद अलग छै...!

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