कबिता

जो रे कागा, भैया के जा क' हकारि ला जो
एलै पाबनि भरदुतिया मोन पारि ला जो
जो रे कागा................

एक बरख पर आएल ई पाबनि
भाइ-बहिन लए हर्ख भरल दिन
नोतब अपन दुलरुआ भैया,
आनए तों हुनका दुआरि ला जो
जो रे कागा...............

नीपल अंगना में अरिपन सजायल
दूइब-धान पान आ सुपाड़ी मंगायल
पीसल पिठाड़ आ सेनूर आनि रखने,
बाटहि छी नैना पसारि ला जो
जो रे कागा.................

आम नोतए जामुन के जहिना
गंगा नोतथि जमुना के जहिना
हम नोतब भैया के तहिना,
मंगल आरती उतारि ला जो
जो रे कागा................
भैया के जा क'...........

अमित पाठक

0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook

 
अपन मिथिला © 2016.All Rights Reserved.

Founder: Ashok Kumar Sahani

Top