कबिता

बैसल हाथ प हाथ राखि रहब कतेक दिन
जागु उठु शोषन दमन सहब कतेक दिन

ज मानैत नै छै त उठा लिअ हाथमें हथियार
छिनु हक़ प्रेमक भाषा सँ कहब कतेक दिन

चिकरि चिकरि क शहिदक शोणित मांगै न्याय
अपने खूनक सागर में बहब कतेक दिन

चाकरी छोरु हिम्मत लाबि मालिक बनि क जीबू
फरल गाछ सँ ऑम बनि झरब कतेक दिन

मन कानै तन कानै सौसे ऊपर गगन कानै
अपने धरती प कुहरि मरब कतेक दिन

शरल वार्णिक बहर
वर्ण:18
अशरफ राईन
सिनुरजोडा(धनुषा)
हॉल:क़तार

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