बैसल हाथ प हाथ राखि रहब कतेक दिन
जागु उठु शोषन दमन सहब कतेक दिन
ज मानैत नै छै त उठा लिअ हाथमें हथियार
छिनु हक़ प्रेमक भाषा सँ कहब कतेक दिन
चिकरि चिकरि क शहिदक शोणित मांगै न्याय
अपने खूनक सागर में बहब कतेक दिन
चाकरी छोरु हिम्मत लाबि मालिक बनि क जीबू
फरल गाछ सँ ऑम बनि झरब कतेक दिन
मन कानै तन कानै सौसे ऊपर गगन कानै
अपने धरती प कुहरि मरब कतेक दिन
शरल वार्णिक बहर
वर्ण:18
अशरफ राईन
सिनुरजोडा(धनुषा)
हॉल:क़तार
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