कबिता

बेटा बिकाएल तकर दै छी बधाइ यौ
धन्य छी प्रभु लेलौं दुइह पाइ-पाइ यौ
छी"छी"छी" केहन ई काज अहां कएलौं
किछु त' समाज कें लिहाज करु यौ
लाज करु लाज करु लाज करु यौ
लाज करु लाज करु..........

लाखक लाख बाप बेटी के गनलनि
घ'र आ घराड़ी के मोह ने रखलनि
आबहु किएक नहिं मोन भरइए
मोटर आ जेवर सँ बाज करु यौ
लाज करु लाज करु...........

पोषल धिया सम सिया सुकुमारी
बाबा जनक लए जे परम दुलारी
वएह देखु जड़तै दहेजक अगिन में
मोछ ताउ ऊँचगर मिजाज करु यौ
लाज करु लाज करु ..........

गाम-गाम कन्यागत शोगे कानइए
बेटा के बाप लेल धैन्न सन लागइए
बेचि बरु दइ चाम ओ निज अभगला
फुइसहुं के आहां घोंघाउज करु यौ
लाज करु लाज करु ............

घ'र आनु लछ्मी तिलक जुनि ताकु
बुइझ अपन बेटी पुतहुओ के राखु
पाप कते अरजब हे मैथिल पुछै छी
आदर्श व्याहक रिवाज करु यौ
लाज करु लाज करु.. ........

अमित

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