कबिता

ऐल अंगना में शुभ घड़ी आइ,
धिया बेदी चढ़इए
बाजय आजन-बाजन गे दाइ,
धिया बेदी चढ़इए
बाजय आजन-बाजन.........

अवध नगर सँ दुल्हा अएला
जनक नगर के मान बढ़एला
बनि अएला जनक के जमाइ,
धिया बेदी चढ़इए
बाजय आजन-बाजन.......

सजल-गुजल सीता सन लागय
दुल्हिन रूप सकल मन भावय
रूप रामक हिया में समाइ,
धिया बेदी चढ़इए
बाजय आजन-बाजन.........

अचल सोहागक भोग हो बेटी
शुभग सुखक संजोग हो बेटी
दैव रहिहथु तोरा पर सहाइ,
धिया बेदी चढ़इए
बाजय आजन-बाजन.........

-: अमित पाठक

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