बाबू यौ हमरा पढ' दिअ ।
धनिककऽ बेटी भेलै सियानी
पढि लिखकऽ भेलै ओ ज्ञानी
तें अक्षर- अक्षर जोड' दिअ
बाबू यौ हमरा पढ' दिअ ।
हमरा पऽ करू अहाँ आसा
नै करब हम अपनेकें निरासा
डेगे - डेग सिढी चढ' दिअ
बाबू यौ हमरा पढ' दिअ...!
पढि-लिख कऽ होतै ज्ञान
भविष्यमे उडाएब हमहूं विमान
अपन कपार सँऽ लड दिअ
बाबू यौ हमरा पढ' दिअ !
गरीबि अछि जिनगी कें हिस्सा
धनीकऽ कें लागै सुन' मे खिस्सा
तें हमरो आगा बढ' दिअ
बाबू यौ हमरा पढ' दिअ !
कहैए राजदेब सुनू हमर बात
बालश्रम केर मारु लात
बुद्धि -विद्या ग्रहण कर दियौ
बगरीया यौ बौवा के पढ' दियौ ।।
लेखक: राजदेब राज
ठेगाना : चोहर्वा सिरहा ( नेपाल )
हाल : मलेशिया
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