कबिता

1:
हम एसगर छी बीन तोरा
तोरा भेटलौ मनमीत
तोहर स्वर लय तालमे
गाबी तोरे गीत
2:
छाती तोहर पाथर भेलौ
समय हमर विपरीत
मजरै आश वसंत मे
कोइलीक कूहकब तीत
3:
माहुर तोहर प्रीत छौ
छौ माहुर तोहर प्रीत
माहुर समय वसंत के
माहुर जगके रीत
4:
पानि पुरैनक पात पर
ठकहरबा के प्रीत
मौसम सन बदलैत अछि
क्षण प्रतिक्षण मनमीत
5:
आखर आखर क्लेश छै
नेहक होइछ दुखांत
चरिपतिया पढि लौट आए
बेकल मैथिल प्रशान्त

प्रशान्त झा

#अपन_मिथिला

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