कबिता

हम रहि क' परदेशमें राख्लौं मिथिलाके लाज यौं
हम सोचलौं खतम नें भ'जाय मिथिला संस्कार यौ
हमरा याद आवै छेल अपन पाग,पान,मखान यौं
भोज भात आमक' गाछी आ खेत खरिहान यौ
हम रहि परदेशमे.... ........

हम नहीं देख्लौं परदेशमें गाय भैसक' बथान यौ
पोखरी महाड पs चुल्हा जरैत पाकैत पकमान यौ
हम रहि परदेशमे.... ......

हम याद केलौं परदेशमें तिशि,कुम्हौरी,मुरौरी यौ
डोका,काकोड माछ,सम्हारीके राखल उक्की संठी यौ
हम रहि परदेशमे...... .....

अशोक कुमार सहनी
लहान ४ रघुनाथपुर
हाल (दोहा क़तार)

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