कबिता

माँ मधेश हकन कानि रहल यऽ

माँ मधेश हकन कानि रहल यऽ ,
दर्द एकर नै ओ जानि रहल यऽ !!

छीनकऽ अनकर हक-अधिकार ,
चारि-चारि हाथ फानि रहल यऽ !!

समानताके आवाज उठेला बाद ,
छाती पर बन्दुक तानि रहल यऽ !!

सब एक्के गाछकऽ डारि-पात छी ,
खस सरकार नै मानि रहल यऽ !!

मोनमे राखिकऽ तृष्णाकऽ भण्डार
राष्ट्रवादी अपनाके ठानि रहल यऽ !!

लिला ओकर देखिके विद्यानन्द ,
माथ पर कफन बान्हि रहल यऽ !!

लेखक : विद्यानन्द वेदर्दी
राजविराज, सप्तरी ( नेपाल )
हाल : विराटनगर, मोरङ्ग

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