कबिता

जग केर रीत किए अहुँ भनाबै छी
कहु ने किए भैया नैहर छोड़ाबै छी
कहु ने किए.............

रचल-बसल एक-एक क्षण मन में
प्राण बसए मोर जाहि कण-कण में
दूर सएह घर सँ कतय पठाबै छी
कहु ने किए..............

बेटिए-बहिन किए आन सन होइ छै
नैहरक सुख किए दान सन होइ छै
विधि के विधान कहि किए बुझाबै छी
कहु ने किए...............

कहब की ब'हिन तोरा अत्मा कानइए
मोन केर हाल हम्मर दैवे जानइए
पाथर करेज राखि महफा चढ़ाबै छी
सत्ते हे ब'हिन हम रीत भनाबै छी
जग केर रीत.............
कहु ने किए...............

अमित पाठक जी

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