कबिता

सीप उजरल छै एत अधिकारके बिना
जीन्गी छै ब्याकुल बनल परिवारके बिना
सगर संसारमे हल्ला छै यौ मिता
नेपाली मरैछै एत अन्न पाइनके बिना ।।

निन्द नै अबैये प्रिय प्राणनाथके आसमे
लहुवेल चिलका कनैये दुधक तलासमे
मुदा छुछे हाथ फक्का कोना मारी
घरमे परल छै लास हुन्कर ,
अपना कौर उठाबी कोना
सीप उजरल छै एत अधिकारके बिना
जीन्गी छै ब्याकुल बनल परिवारके बिना ।।

साउस सशुर दिनभैर रहे मुरझायल
गाइ माल सब भुखले पियासल
जैन नै कि भेलौ ओकर आवाजमे
हुकैरो ने पाबै छै देख दिग्धल आकास बिना
सीप उजरल छै एत अधिकारके बिना
जीन्गी छै ब्याकुल बनल परिवारके बिना ।।

#अपन_मिथिला

0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook

 
अपन मिथिला © 2016.All Rights Reserved.

Founder: Ashok Kumar Sahani

Top