गीत हमर, अछि राग हमर
पान मखान आ साग हमर
दहेजक कलँक लागल एहन
सिसकैत छै ललका पाग हमर
मैथिलजन छथि बिद्वान बहुत
कहियो छल मिथिला राज हमर
अाब छै खँड खँड में बँटि रहल
जे छल भरल पुरल सँसार हमर
एखनो समय छै जौँ चेत सकी
ई फुसियोके दँभके फेक सकी
समभाव सँ जौँ हम देख सकी
फेरो हँसि उठतै उजड़ल गाम हमर
आ, कहि सकब गर्वित भs कs
कि...
मैथिल छी मिथिला बास हमर
हमरा सन जग में भाग ककर...!
साभार Awaaz Gagan Tak जी
#अपन_मिथिला
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