कबिता

"हमर बिनती"

एह पावैन धर्ती देख,
देव ललायल ।
तै महादेव बैन उगना,
बिधयापती घर आयल ।।
अन्न्त बर्ष पवित्र रहे एह धर्ती,
बैन बहन सीता पहुन राम यैहा ।
हे प्रभु !
मिथिलेमे अन्त होइ, मिथिले जन्म दिहा २ ।।

बिदेह राज्यमे ज्ञान,सुन्दरता,
एकता,गोरब कऽ छै भन्डार ।
नदि नाल,ताल तलैया,कुन्ड,
सरोबर छै प्रकिरतिक श्रीङ्गार ।।
स्वर्ग न भायत देख मिथिला,
तै यैह धर्ती पर लादिहा ।
हे प्रभु !
मिथिलेमे अन्त होई मिथिले जन्म दिहा २।।

रचनाकार :- :- सोगारथ यादव
पुरनदाहा---धनुषा धाम
हाल----  (दोहा कतार )

#अपन_मिथिला

0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook

 
अपन मिथिला © 2016.All Rights Reserved.

Founder: Ashok Kumar Sahani

Top