कबिता

~~~~~~ गजल~~~~~~

अपन गाम किया सुनसान देखै छी !
भुकमरी मे पडल किसान देखै छी !!

कोइली के अवाज गुञ्जै छल सगरो !
ओएह गाम आइ  समशान देखै छी !!

दुष्ट सरकार मारै कपारमे गोली !
सुतल अकचकाइत अपन कान देखै छी !!

धर्म , संस्कृति छोडने ओ दानव सब
अपने समाजक स्वार्थी बेइमान  देखै छी !!

मोनक ई पीडा किनका सुनौता राजदेब !
गोली , बारुद जेहन सपना मे समान देखै छी !!

लेखक : राजदेब राज
ठेगाना : चोहर्वा , सिरहा ( नेपाल )
हाल : मलेशिया ।

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