कबिता

हम छी मिथिला के धिया गाम मिथिला हमर
स'ब धामहुँ सँ पइघ धाम मिथिला हमर
हम छी मिथिला के..........

जतय घर-घर में सिया सन बेटी रहए
सगर दुनियां में मान जेकर वेदहु कहए
हुलसि पाहुन बनि ऐला राम मिथिला हमर
हम छी मिथिला के............

जतय अर्धांगिनी छै सावित्री स्वरूप
प्राण पति के ल' ऐली ई अचरज-अनूप
स्वयं प्रभु के उचारल नाम मिथिला हमर
हम छी मिथिला के............

जतय "विदुषी-भारती" छै अंगने-अंगने
अपन इतिहासक पन्ना कतेक रंगने
स'ब ठोकए सलाम आबि मिथिला हमर
हम छी मिथिला के............

गाम र'हब वा र'हब कतौ जा विदेश
प्रिय प्राणहुँ सँ बढ़िक' मिथिला ई देश
जान ब'सल जतअ जान मिथिला हमर
हम छी मिथिला के............
सब धामहुँ सँ पइघ............

लेखक :- अमित पाठक जी

#अपन_मिथिला

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