कबिता

केहन छल अो प्रेमकऽ बन्धन
जन्म-जन्म सँग रहब कहलौ,
प्रेम-प्रितक मिठगर बात कऽ-कऽ
छोडि कऽ  हमरा गेलौ

             प्रियतम एहन प्रित लागल
            याद मे अाखि रहैय जागल
         अास मिलन के खोजै सदखन
            किया एना तड पेलौ प्रिय
            छोडि कऽ हमरा गेलौ ..!

अहाविन कोना जियव हम ..?
बिख बिछोडक कोना पियब हम..?
जनलौ प्रेमक दुशमन अछि सगरो
अहाँ कोना बिसरलँहु प्रिय
छोडिकऽ हमरा गेलौ ....!

           अहाँके बनायव दिलक रानी
          राजदेब के बात कनिको मानी
         एक जन्म नय सात जन्म तक
          कसम प्रित के खेलौ प्रिय
          छोडि कऽ हमरा गेलौ ...!

लेखक: राजदेब राज
ठेगाना : चोहर्वा सिरहा ( नेपल)
हाल : मलेशिया

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