कबिता

हे मिथिला वासी अपन पहिचान बचालु ..!
सस्ता महग सब बिकैत,अछि अपन इमान बचालु ..!!

अमूल्य हिन भाव अछि पैसाके कोनो मोल नय !
नैतिक- अनैतिक एकठा कऽ अपन जान बचालु !!

खोपरी छोट दलान अछि उडतै कतौँ सँऽ लुति !
जरतै टोल परोस सगरो घरमे किछु समान बचालु !!

हम मैथिल मिथिला वासी किछु ऋण अछि पुर्खा के !
मिली - जुली सब सँग चलि अपन स्वभिमान बचालु !!

गोर लागि कहैय राजदेब डेग - डेग पऽ साथ देब !
गौरव साली मिथिला हमर मात्रृभुमी के सान बचालु !!

लेखक : राजदेब राज
ठेगाना : चोहर्वा सिरहा ( नेपाल)
हाल : मलेशिया

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