हे मिथिला वासी अपन पहिचान बचालु ..!
सस्ता महग सब बिकैत,अछि अपन इमान बचालु ..!!
अमूल्य हिन भाव अछि पैसाके कोनो मोल नय !
नैतिक- अनैतिक एकठा कऽ अपन जान बचालु !!
खोपरी छोट दलान अछि उडतै कतौँ सँऽ लुति !
जरतै टोल परोस सगरो घरमे किछु समान बचालु !!
हम मैथिल मिथिला वासी किछु ऋण अछि पुर्खा के !
मिली - जुली सब सँग चलि अपन स्वभिमान बचालु !!
गोर लागि कहैय राजदेब डेग - डेग पऽ साथ देब !
गौरव साली मिथिला हमर मात्रृभुमी के सान बचालु !!
लेखक : राजदेब राज
ठेगाना : चोहर्वा सिरहा ( नेपाल)
हाल : मलेशिया
0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook