कबिता

मैथिली गित
हमरा माइट पाइन्के अखनो,दुनिया गुनगान करै .....यै.....
हमर पुर्खा छला विदमान,हमर मिथिल महान....यै.....२
दुर दुर स पैदल चलैत आबि छला, जनक दरवार....
ज्ञानक ज्योती बटैत छला,सबपर भरी मिथिलक सरकार.....२
धोती कुर्ता माथ्क पाग......हो..हो..२सहैत न छला ककरो तान.....यै.....
हमर पुर्खा...........२
..................२
बिरक परिक्षा यैह धर्ती पर,कैह रहल यै धनुषा धाम.....
लह लह कमलक फुल खिलैछै,अखनो पशुरामक गाम.....२
शतिके माइत बिरक राज्य......हो...हो.....२
यैसे कोन वर पहिचन......
हमर पुर्खा.........
...................२
यैह नगरिके पैदल परिक्र्णमा,कैने छला पहुन राम......
विध्यापती के घर बैन उगना,करैत छला देवो लोक काम.......२
ओइ वीर पुरुख ओर बिधमान के.....हो.....हो....करैछी हाथ जोइर प्रणाम......
हमर ........२
..........२
सोगरथ यादब
पुरनदाहा-----धनुषा धाम
हाल--- ( दोहा कतार )

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