कबिता

सुरता ककरोला मुदा सूरत ककरो पास
जान ककरो मुदा प्राणमे ककरो आश

गुलाब चमेली संग हिर्दयेमे ओकरे फूल
जीबन सही त मिलल तै ककरो सुबास

उपराग नै जिनगीस आबो ककरो जीत
जं ई कुछ सांसारिक त हमहू ककरो दास

शुन्दरता संग हमहू चाहि ओकरो हित
प्रेमी "अब्दुल" संग नै रहली कहियो कास

शरल बर्निक बहर
बर्ण;१६

@ अब्दुल रज्जाक (धनुषा हरिपुर ४ )

0 टिप्पणियाँ Blogger 0 Facebook

 
अपन मिथिला © 2016.All Rights Reserved.

Founder: Ashok Kumar Sahani

Top