कबिता

नेपालक संविधान मे संशोधन, मात्र दुइ मुख्य मांग केर संबोधन

घोषणा भेलाक चारि महिना मे संविधान संशोधन

तराई/मधेशमे निर्वाचन क्षेत्र ८० पहुँचत
राज्यक निकायमे समानुपातिक समावेशी
समाचार साभारः कान्तिपुर दैनिक, बालकृष्ण बस्नेत

माघ ९, २०७२- संविधानसभा द्वारा बनायल गेल नव संविधान ४ महिना बाद पहिल बेर काल्हि शनि दिन संशोधन भेल अछि ।

आन्दोलनरत मधेशी आर थारु समुदायक माँग सम्बोधन करबाक लेल सरकार द्वारा प्रस्तुत कैल समानुपातिक समावेशी तथा निर्वाचन क्षेत्र सम्बन्धी संशोधन विधेयक केँ परिमार्जन सहित संशोधन भेल अछि ।

तराई/मधेशमे जनसंख्याक अनुपातमे निर्वाचन क्षेत्र बढेबाक तथा राज्यक निकायमे समानुपातिक समावेशीक आधारमे सहभागिता बढेबाक सुनिश्चितता लेल ई संशोधन कैल गेल अछि ।

समानुपातिक समावेशी सम्बन्धी धारा ४२ आर निर्वाचन क्षेत्र सम्बन्धी धारा ८४ तथा २८४ केँ संशोधन करबाक बात संविधान जारी भेलाक बादे सँ तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्वक सरकार द्वारा आसीन २० गते सँ सदन मे विधेयक दर्ता करायल गेल छल । सत्तारुढ आर प्रमुख प्रतिपक्ष कांग्रेसक विवाद सँ विधेयक संसद मे प्रस्तुत होयबा मे देरी भेल छल ।

संविधानक धारा ४२ केर उपधारा १ मे रहल सामाजिक न्याय सम्बन्धी हक केँ समानुपातिक बनायल गेल अछि । उक्त मुद्दा केँ आन्दोलनरत मधेशी मोर्चा, थारु, मुस्लिम द्वारा सुरुहे सँ उठबैत आयल छल । संशोधित धारामे कहल गेल अछि – ‘आर्थिक, सामाजिक या शैक्षिक दृष्टि सँ पाछू पड़ल महिला, दलित, आदिवासी जनजाती, मधेसी, थारु, मुस्लिम, पिछडा वर्ग, अल्पसंख्यक, सीमान्तकृत, अपाहिज भेल व्यक्ति, लैङ्गिक तथा यौनिक अल्पसंख्यक, किसान, श्रमिक, उत्पीडित एवं पिछडल क्षेत्रक नागरिक तथा आर्थिक रुप सँ विपन्न खस आर्य केँ समानुपातिक समावेसी सिद्धान्तक आधारमे राज्यक निकायमे सहभागिताक हक होयत ।’ एहि सँ पहिने उक्त धारामे समानुपातिक शब्द नहि छल ।

प्रमुख दल सबहक बीचक सहमति उपरान्त परिमार्जन कैल गेल संशोधन विधेयक केर अंश:

संशोधन गरिएको दोस्रो धारा २८६ थीक, जाहि मे निर्वाचन क्षेत्रक आधार बारे उल्लेख अछि । उक्त धाराक उपधारा १ (५) मे संसोधन करैत कहल गेल अछि -‘निर्वाचन क्षेत्र निर्धारण आयोग द्वारा एहि धारा मुताबिक निर्वाचन क्षेत्र निर्धारण करबाकाल धारा ८४ केर उपधारा १ केर खण्ड (क) केँ अधीनमे रहैत प्रतिनिधित्वक लेल जनसंख्या केँ मुख्य आर भूगोल केँ दोसर आधार मानैत संघीय कानुन मुताबिक प्रदेशमे निर्वाचन क्षेत्र निर्धारण कैल जायत तथा प्रदेश भितर रहल प्रत्येक जिल्लाक कम्ती मे एक निर्वाचन क्षेत्र रहत ।’

संविधानमे रहल ‘जनसंख्या आर भूगोलकेँ प्रतिनिधित्व केर आधार मानि ताहि तरहें निर्वाचन क्षेत्र केँ भूगोल, जनसंख्या आर सदस्य संख्या बीचक अनुपात यथासम्भव समान होयबाक हिसाब सँ निर्धारण कैल जायत’ कहैत व्यवस्थाक बदला उक्त संशोधन भेल अछि । आन्दोलनरत पक्ष द्वारा जनसंख्या केँ निर्वाचन क्षेत्रक मुख्य आधार बनेबाक चाही कहैत विभिन्न विरोध कार्यक्रम करैत आबि रहल छल ।

ई दुनु संशोधन मोर्चा द्वारा उठायल गेल माँगकेँ सम्बोधन होयबाक बात कानुन मन्त्री अग्नी खरेल कहलैन अछि । एहि संसोधनमे चित्त नहि बुझबैत संसदमे विरोध करबाक सन्दर्भमे सरकारक तर्फसँ प्रतिक्रिया दैत मन्त्री खरेल कहलैन -‘अहाँ सब आप कियैक सहमति नहि प्रकट कएलहुँ । हमरा आश्चर्य लागल अछि । लेकिन, काल्हिये-परसू सँ समर्थन करब । कियैक तँ ई संसोधन अहाँ सबहक कहल मुताबिके भेल अछि ।’

‘नेपालक संविधान (पहिल संशोधन) विधेयक, २०७२ केँ पारित कैल जाउ’ कहैत सरकारक तरफ सँ खरेल द्वारा राखल गेल प्रस्ताव केँ संसदक दुइ तिहाइ बहुमत सँ पारित कैल गेल अछि । प्रस्तावक पक्षमे ४६१ आर विपक्षमे ७ मत मात्र पड़ल छल । नेमकिपा आर राष्ट्रिय जनमोर्चाक सांसद द्वारा उक्त संसोधनक विपक्षमे मतदान कैल गेल । आन्दोलनरत मधेशी मोर्चाक सांसद द्वारा मुदा मतदान बहिष्कार कैल गेल छल । मतदानमे ४६८ सांसद सहभागी भेल छलाह ।

संविधान संशोधन वास्ते कुल सदस्य संख्याक दुइ तिहाइ बहुमत आवश्यक छल । मत गणना सुनबैत सभामुख ओनसरी घर्ती द्वारा कुल ५९६ जना मे दुइ तिहाइ सँ बेसी मत मार्फत संशोधन प्रस्तावक पक्षमे मतदान कैल गेल सुनेने छलीह ।

सरकार द्वारा पेश कैल गेल संशोधनक मूल विधेयकमे मधेसी मोर्चा द्वारा समर्थन नहि केलाक बाद सांसद लोकनि आरो संशोधन राखैत मोर्चाकेँ मनेबाक प्रयास केने छलाह । ताहि क्रममे उक्त विधेयकमे २४ टा संशोधन पड़ल छल । ताहि मे कांग्रेसक नेता लोकनि विमलेन्द्र निधि, मिनेन्द्र रिजाल, प्रकासशरण महत, फरमुल्लाह मन्सुर, रोमी गौचन थकाली आर संजय गौतम द्वारा अलग‍‍-अलग ६ टा संसोधन राखल गेल छल । सत्तापक्ष सँ एमाओवादीक १० जन आर फोरम लोकतान्त्रिकक योगेन्द्र चौधरी द्वारा संशोधन राखल गेल छल ।

ताहि सबकेँ अपनबैत सरकार द्वारा परिमार्जित संशोधन तैयार कैल गेल

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