** भेलेनटाइन बिशेष गजल **
आँखिक काजर कि बनी ठोरक लाली हम
रही स्वतन्त्र कि करी अहाँक गुलामी हम
पुवासन फुलल गाल नै जानि ककरा ला
देखिते नै पुछु भS गेलहू मतबाली हम
मारैय जोबन हिलोर जेना जोर जोर स
लागे यौबन रसमे खुबक नहाली हम
सुन्दर बागके अति सुन्दर गुलाब अहाँ
मोन होइय रही सदा अहीके माली हम
रही सदिखनि बनिक नाकके नथिया कि
झुलैत रही बनि कानमे कनबाली हम
ज रहितौ चोली सटल रहितौ करेजमे
नै कहु त बनि जाइछी देहक साडी हम
अहीके प्रेम लेल भुखाएल भेटत बिन्दु
भेटे जँ साथ त जिनगी स्वर्ग बनाली हम
सरल बार्णिक बहर
आखर = १६
#विन्देश्वर_ठाकुर
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