कबिता

==== गजल ===

सुख शान्ति कतऽ अछि ओ घर देखादु !
उठि रहल छै प्रश्न उतर देखा दु ..!!

समाज बदललै बुझि लेब सहजे
पहिने अहाँ शिक्षाक असर देखादु ..!!

भटकैत बताह जेना मरभुमि मे ..!
निमन कोनो बाट वा डगर देखादु ..!!

दुनियाँ झुमि रहल खुसी उत्साह मे ..!
जायब कोना ओहिठाम दर देखादु ..!!

अछोप भेलै कोना गरिब राजदेव ?
मानवतासँ बढि कोनो थर देखादु

सरल वार्णिक बहर
आखर : १४

लेखक: राजदेब राज
ठेगाना : चोहर्वा सिरहा ( नेपाल )
हाल : मलेशिया

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