कबिता

कथा

बुधना कतारमे छैत एक दिन अचानक घर सँ फोन आयल ।
बुधना-- हेलो हेलो के बाबू ? प्रणाम करै छि

बुधनाके बाबू-- निके रह बौवा

बुधना-- ओर सब त निक छोनै बाबू ?
बुधनाके बाबू-- ह... बौवा सब निक छो ।बस                       तोरा देखला बहुत दिन भगेल तो चैल यैते त निक होईतै ।
बुधना-- ह.. ह बाबू हम बिदा जाईय बाला कागज पतर कम्पनिमे बुझादेने छियै बुझाईय आई नै त काईल हमर फलायट भजतो
बुधनाके बाबू--- हो तै बौवा जते जल्दी भसको आब घर...... ला त फोन राईख दहो
बुधना --- होतै त बाबू ला राईख दै छियो

( फोन रैखते बुधनाके बाबू ओर घरके समपुर्ण लोक मे कना रोहैट भजायत छै) ओतनेमे गमक आदमी सब सेहो जौर हुव लगै छै

गामके आदमी(१)---- रो कैलागी इ सब प्रणी कनैत छै कुछ भनैत गेलै
गामक दोसर आदमी--- नै बुझलहो ग भैया जुवान बेटा के अन्दोलनमे गोलि लाईग क मैर गेलैय
गामके आदमी(१)---फनु एकटा दु:खद  घटना घैट गेलै
हकके लडाईमे मैर गेलै शहिदके लिस्टमे एकटा आरो नाम लिखा गेलै----- चल त देखियै
( गामक आदमी(१)* गामक आदमी दुनु गोटे मिलक बुधना बाबू लग मे पुगैत छै)
गामक आदमी--- काका नै काँ  न आश राख जै लागि जान गुमैलकैय तै क प्रप्तिके
( बुधनाके बाबू कनै त)
जवान बेटा छल ग माईर देलकै गोलि कसैया
कोना क रहतै छोट छोट बच्च आ पुतैहिया
( गामक आदमी(१) बुधना बाबू के आश दैत
कनला स घुईम क नै अतै मरल आदमी
ओकर लक्षय पर चल तब ओकरा मन के शान्ती भेटतै एना कनला स नै होतो

( बुधना बिदेश सँ काठमाण्डौँ आईब गेल छैत)
बुधना ---- गेलियै बिदेश त कतेक नि रहै
            आई केना झु झावन लाईग रहल छै
( एक आदमी पर नजै बुधना के जायत छै)
बुधना---- हो ... भैया हो जनकपुर जाई बाला नाईट के टिकट कत कटाई छै ?
आदमी--- ह हम हि कटै छि यै लाब  सात हजार         रुपैया दोसर गोरा दस हजार सँ कम नै लेतै
बुधना---- ए से बात है नै बन्दी है तै दुवारे नै हो
        ला करबै कि ला डोवा काईट दहो जनकपुर तक के मगर हमर समान सब निक स जायक चाहिँ
आदमी---- ला अपन टिकट समान सब के कोनो ग्यारेन्टी नै आदमी के ठेकने नै है आ तो समान के बात करै छा
बुधना----- रुपैयो तिर बेसि आ कोनो चोज के नै ग्यारेन्टी केना भगेलै हमरा देश मे
( बुधना बस मे बैठल आधा राईत मे गुन्डा अबि गेल)
  बिधना---- जा बस कैला रोईक देलकै
( तखने गुन्डा तोरा नै बुझल छो कहैत थपड मारैत ले यैला बिदेश स आयल छे नै चल सब समान आ कोसलिया निकाल)
बुधना--- रुपैया ल ला मुदा हमर समान छोईर दा हमरा घरके लोक आस लगैने होतै कि कुछ समान हमरो ला लयत
गुन्डा--- बेसि बजबे रे  छिन एकर सब समान आ रुपैया
( बुधना कनैत बाँस पुगल बुधनाके गाम बस पस उतैर ते)
गामक लोक --- मर रे बुधना त आलै मगर समान कहाँ उतारलकै बस त चैल गेलै ।
बुधना समान कहाँ हौ बौवा
बुधना ---- कि कहियो काका सब गुन्डा सब रस्ता मे छिन लेलक
गामक लोक ---- मर्बो पिटबो कैलको व अछा चल घरे पहिने बाधमे बात चित होबे करतै
( बुधना घर पुगल )
माई गोर लगै छियो---- खुसी रह बौवा
माई भोजी उजरा साडी किय पेन्ने हौ
  बुधनाके माई कनैत---- बौवा  एकरा नसिब मे अहे छै
बुधना चोकैत--- माने कि माई ?
बुधना के माई-- तोहर भैया मैर गेलो आन्दोलन मे
बुधना कनैत नै माई तो झुठ बजै छे
भोजी कि बात है कहुन
भोजी---- कनैत ह बौवा एहे सछ छै अहा केभैया आन्दोलन मे मरल गेल
( बुधना चिकैर चिकैर क काईन रहल है)
बुधना के माई---- बेटा हम ओकर माई छियै मुदा हमर बेटा जेकरा ला मरलै य उ त दु कडोड के माई छै रे  ......ऐमे  कान के कोन बात अलै  जब जब माइट पर आच यैतै हक के दमन करतै तब तब हमरा सन सन कैयो माईके बेटा अपन जीवन कुर्बान कदेतै ।आ हमरा सन सन माई फनु बेटा जनमाक खार कदेतै तो कैला कनै छे बेटा हमर बेटा मरलैय कहाँ हमर बेटा त अ्अर भगेलै
बुधनाके भोजी----- ह देवर जि उनके मृतु के बदला हमरा सब के जे हक मिल जायत जे हे आश लक जिबै छि
बुधना----- नै नै ( सँतुस्टके साथ) हमर भैया मरलैय काहा भैया त अ्मर सहिद भगेलै
उनके बलिदानी के बयर्थ नै जायदेब से हमर वचन छै भोजी ।
समाप्त

लेखक -: सोगारथ यादव

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