कबिता

नै छोड़लौ अपन संस्कार
आ नहिये अपन भाषा
छि निथिलेके संतान हम
नै होयत मन में निराशा ।

कतबो रचत कियो घट्यंत्र
चाहे मजबुर करय भगबके यत्र तत्र
जबैत रहबै मिथिला नामक मंत्र
पहिरबै सदिखन मिथिले के बस्त्र ।

रहबै जतै ओतै हेबै संघोर
फैलेबै मैथिली के चारु ओर
अरब-कत्तार हो या बंगाल
लगै छै सबठाम साँझक चौपाल ।

सुनी ले रै बहिरा सरकार
द दे तू हमर अधिकार
अखन धरि मंगलियौ शांति स
मजबुर नेकर उठबैले तलवार ।

फेर तु करबे कतबो बाप रे बाप
देतौ तोरा फेर कियो नै काज
कतबो तु रोकबे हमराआब
ल क रहबौ मिथिला राज ।

*** बिजय कुमार झा ***
गाम देवडीहा, जिल्ला : धनुषा
जनकपुर , मिथिला (नेपाल)
अप्रबास
सेक्टर-९३ नोएडा, उ प्र.
दिल्ली एन सी आर भारत ।
जय मिथिला ! जय मैथिली!!

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