कबिता

चाँद उगलैय ऐना राईत शरमा गेलैय ,
बिना मेधे त आय खुब बर्खा भेलैय -३

दु त सपना हमर दिल स निकलैय ,
चाँद सुरज क भेलैय ने कहियो निकाह ,
लुईट दिनकर गैलाह - ३

दिन अनहरिया भेलैय ,
चाँद उगलैय ........….........
ओ जिनगी मे ओतअी ई मन मे आस ,
त जईर जईर क टैमी सदैय छी प्रकाश -२

बिना छुने कली -३ आय मुरझा गैलैय ,
चाँद उगलैय .....................
रित दुनिया के देख हरदम झरैय यै नोर ,
जेना साँझक अंधेरा तहीना लागैय भोर -२
जिदगीं प्रेमक -३ उलझन मे ओझरा गैलैय ,
चाँद उगलैय ..….....…............!!!!!!

अज्ञात

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