कबिता

अपन मिथिला मैथिलि भाषा

माँ जानकी केर जनम भूमि मिथिला . जाही थाम चाकर बनी स्वयं भगवान् शिव संकर उगना रूप धरी आयल छलाह . मुदा ताहि धरती केर आजुक दीन में इ विडंबना अछि जे की अपन अधिकार केर लेल दर दर भटकी रहल अछि मुदा ओकर गुहार सून्निहार कियोक नहीं छैक .

विगत किछु दीन स मिथिला या मधेश केर पैघ -पैघ मंच पर इ सुनबाक भेटल जे की नेपाल सरकार के मैथिलि  भाषी पर ध्यान देबाक चाहि आ  मैथिलि किताब और मास्टर सव केर सेहो बहाल करबाक चाहि .

हम हुनका स आ समस्त मिथिला वासी स कहैक लेल चाहब जे की कखन धरी तक आधा टा सोहारी आ नून खा खा क पेट भरित रहब .

अहि गप में कोनो दू राइ नहीं अछि जे की हमरा सब गोटे केर लेल ई बद्द गर्व केर गप जे की नेपाल सरकार अहि समिधान में मैथिलि भाषा मातृभाषा सरह संस्थान देलक , नेपाल सरकार ओकरा लागू कैलक मुदा की माँ मैथिलि मात्र एत्बाही टा केर लेल हक़दार अछि ?

कहैक लेल ता सब कियो इ कहैत छि जे की नेपाल ता क नहीं अपितु सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड केर सभ्यता म स एक टा प्राचीन सभ्यता अछि मिथिला के . तखन मिथिला कियैक आध पेटू भ रहती .

जखन नेपाल केर आन परदेश में भ सकैत अछि ता मिथिला आ सम्पूर्ण मधेश में एहन कियक नहीं भ सकैत अछि जे की सब टा विषय मैथिलि में होई . मैथिलि केर माध्यम बनेबाक लेल हम सुब हो - हल्ला कियैक नहीं का रहल छि ?

उठू , जागू एखन धरी तक बेसी देर नहीं भेल अछि नेपाल सरकार केर बिरोध क ओकरा बता दियू जे की आब हम सब अपन अधिकार नहीं छोराब बसरते हमरा सब केर किछुओ कियक नहीं करे परत
आबू एक साथ मिल जुली के संक्नाद करी आ नेपाल सरकार केर देखा दी जे की तोरा हमर जरूरत छौक नहीं की हमरा तोरा स .

जय मैथिल
जय मिथिला
अशोक कुमार सहनी
लहान ४ रघुनाथपुर
हाल 【दोहा क़तार)
#अपन_मिथिला

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