लगलै दहेजक एहन पसाही
घर ई जरि गेलै
बेटी मरि गेलै
हो .........
बेटी मरि गेलै
बर्षोसऽ देखल सपना उजरलै
बेटीके मांगमे सेनुर ने पडलै
नगद दू लाखला' रिस्ता टुटल ...२
जगमे नाँ बदनाम भेलै
हो .......
बेटी मरि गेलै
विधना लिखलनि केहन गरिबी ?
माथ कलंक ल' कोनाक' जीबि ?
कनियां दानके सपना साँचल ....२
ओहो अधुरे रहलै
हो ........
बेटी मरि गेलै
आब ने ककरो अछि सहारा
आँखिक' छल एक्कहिटा तारा
उठलै अन्हर पूर्बा पछिया .....२
चान उडा ल' गेलै
हो .........
बेटी मरि गेलै
© विन्देश्वर ठाकुर
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