मैथिलि गीत
एल नै परदेशी प्रीतम
कतेक दिन गेल बित रे...
झम-झम-झम मेघ बरसे
मन में जागल प्रीत रे...
बिजलौका सेहो कस-कस लौके
मन में चमकल तीर रे....
जे आइख में सजल छेल
सपना सब गेल टूईट रे..
सब दुश्मनी स देखै य
ई टुकलि, मेहदी ,काजल
चुप्पी साधने बैठल
जन्मजली छम-छम पायल
मुरझायल घर के अगन
जखन सँ प्रीतम गेल रे...
सालो स घर आबैक'
दुश्मन नाम नै लेलक
फोनो से नै केलक बात
बहुत दिन स मीत रे...
हम बाजी हारैत रहली
नर्मोहिया गेल जित रे...
ताना मारेय पुरबैया
जवानी जोर मारै य
घोघ में आइग लगालू
आब मोन एहेन करै य
अशोक के संग गेल
सुइख के सब गीत रे....
गीत - अशोक कुमार सहनी
लहान- ४ रघुनाथ पुर
हॉल (दोहा क़तार )
✔ अपन मिथिला
#अपन_मिथिला
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