लगैये हुनका भैर देह आँच ।
सुनाबी जखने बात हम साँच ।।
जँ मिठे मरे त माहुर किए दी
टुटै ये मोन आइ बैन क काँच ।
जीवनके सफरमे छी विद्यार्थी
जीन्गी परिक्षाके दैत रहु जाँच
गरिबीके लात परे ने पेट प
मञ्चक आगा बैठ देखु नै नाँच
कर्म भरोसे बैसल छै रसिया
सुखल आइरमे लगौने छै चाँच
__✍दिनेश रसिया
लहान
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