कबिता

देखु त सपना अछि जिनगी
पडू त किताब अछि जिनगी
सुनू त ज्ञान अछि जिनगी
मुदा हम कहैछी की हँसैत रहु त
आसान अछि जिनगी ।।
__✍अशोक कुमार साहनी

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