कबिता

【 हमरा बिनु अधूरा हमर चान हेतै 】
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काल्हि ईद हेतै
हँसैत कनी ठोर हेतै
मुदा -
मन कनी उदास हेतै
हाथ भरि ओकर मेहदी
रंग नै निखार एतै
देह में नव कपड़ा सँ
सजल - धजल
तबो पावनि ईद
हुनका लेल नै सोहान हेतै
ओहि ठाम सब
नाचैत - हँसैत
मुदा -
हमरे अंगना सुनसान हेतै
ईद सँन महान पर्व
बड़ झुझवान हेतै
हमरा बिनु अधूरा
हमर चाँन हेतै ।
हिया भाव बिभोर
हृदय फारि कनैत
नैन सँ बहबैत नोर
घरक देहरी परके
खमहनि पकरि ठार
नेह बिछा क रास्ता पर
जोहैत हमर बाट हेतै
तबो अहु बेरक ईद
नै हमर ओकरा साथ हेतै
दूर जे सात समुन्दर पार छियै
तै उदास हमर जान हेतै
हमरा बिनु अधूरा
हमर चाँन हेतै
®अशरफ़ राईन
हॉल :क़तार

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