कबिता

सगरो सोर ये अहिके चर्चा किय यै ।
अहाँ हमरे यादमे डुबल किय छियै यै ।।

हम त एक सिमर फुलक रुइया छियै यै ।
हम पुरवा पछिया हावाके साथ चैल जेब यै ।।

भोर भिन्सर कोयली जेहेन कुहैक जाइ छियै यै ।
गेन्दाके फुल जेहेन हम माैला जाइ छियै यै ।।

किय सिमरक फुलके सेवा करै छियै यै ।
किनको नै भके भुइँयामे लेटा जाइ छियै यै ।।

खुश्भु आबो छोडु हमर पछा परैेल यै ।
भुइझ नै पाइब अहाँ बहुत पछतेबै यै ।।

हम मिथिला प्रती जान दिय तात्पर्य छियै यै ।
मिथिला के एक हिस्सा बन चाहै छियै यै ।।

बिनोद एखनो केकरो नै भेल अा नै हेत यै ।
अपने जिवनके फुल बारिमे डाली भरू यै ।।

✍ बिनोद मेहता
भोक्राहा सुनसरी
हॉल-  (बिराटनगर मोरङ )

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