कबिता

हम अपने सँ अनजान छेलो अहाँ के बिना ।

हम कतौ गुमनाम छेलो अहाँ के बिना ।।

अहाँ मिलो हमरा हम फूलो गेना फूल जेका ।।।

डूबैत सूरज छेलो हम अहाँ के बिना ।।।।

__✍ अशोक कुमार सहनी
लहान ४ रघुनाथपुर
हॉल (दोहा क़तार )




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