कबिता

बिनु अंहा बिनु किछू नैय सोहाईत
सदिखन अही लग मन चलि जाईईत
कि कही ऐही रोगक ईलाज की छै से नै जानल
भेलौ हम अही क प्यार म पागल

जहिया सँ हमरा अंहा छोरि चलि गेलौ
हमरा तू निच्छछ बताह क देलौ
हे गे टोला-मोहल्ला के लोक दैई य ताना
कहैत अछि तु भ गेलें दिवाना
बुच्ची हम छी अही क दिवाना

आबो त घुरि आउ ह्रदय सँ सटा लिय
लोक लाज आब दिल सँ मिटा लिय
हे देखू कतेक बदैल गेलैय ज़माना
हम छि बुच्ची अही क दिवाना

अही हमर जान छी अही प्राण यै
अही छी बुच्ची हमर जिनगीक शान यै
अही छी हमर दिलजानी बैईन क दिवानी
हम छी बुच्ची अही प्यार म दिवाना

✍अज्ञात


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