रहि रहि क s बाट हम ताकी
राखी सँ सजा रखने छि थारी
जखन अबै अहि गली में गाड़ी
खिड़की सँ चटहि हुलकी मारी
नैहर सँ भेजतै माइयो सनेश
भौजी भेजथिन फेर सँ साड़ी
जखन औथिन राजा भैया हमर
बन्हबैं हुनका हाथ पर हम राखी
आसन बिछा फेर भोजन करेबैन
माँछ भात आर तरुवा तरकारी
✍बिजय कुमार झा
देवडिहा, जनकपुर, मिथिला - नेपाल
प्रबास: नोएडा, उत्तर प्रदेश - भारत
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