कबिता

गगनमे  सजल  आहाँ  चान  छि
प्रिय अहीँ हमर जीबनक प्रान छि

छि कोसौ दुर आहाँस समुन्द्र पारी
मुदा,अहीँ हमर मोनक मुस्कान छि

देखेैछि सपनामे कङ्गणा खनकैत
बालुु रेतक ठण्ढ पवण  बसात छि

आद करैछि नित हम आहाँके सजनी
नस नसमे बगैत आदक  सनसार छि

कोईर रहल छि,अइयम  दोसरक वारि
मुदा,अहीँ  गामक  हमर  पहिचान  छि

     ~~💘आनन्द राम💘

गाऊँ:-बर्छवा ९ सिस्वनी


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