घोघ स चन्ना भहार भेलै
..✍👤विजय कुमार ठाकुर
घोघ स चन्ना बहार भेलै
दिन जे गेलै अनहार भेलै
प्रणय वृष्टि में नहा गेलौं
बाँहि दुनू ग्रीम हार भेलै
अहाँ जे धनि बिलग भेलौं
एक एक क्षण पहाड़ भेलै
तन मन सोँपि देलौं प्रिय
जाहि दिन प्रथम विहार भेलै
लाख नेहोरा केलौं नैं मानल
केहन चण्ठ चारि कहार भेलै
..✍👤विजय कुमार ठाकुर
..✍👤विजय कुमार ठाकुर
घोघ स चन्ना बहार भेलै
दिन जे गेलै अनहार भेलै
प्रणय वृष्टि में नहा गेलौं
बाँहि दुनू ग्रीम हार भेलै
अहाँ जे धनि बिलग भेलौं
एक एक क्षण पहाड़ भेलै
तन मन सोँपि देलौं प्रिय
जाहि दिन प्रथम विहार भेलै
लाख नेहोरा केलौं नैं मानल
केहन चण्ठ चारि कहार भेलै
..✍👤विजय कुमार ठाकुर
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कवि - विजय कुमार ठाकुर जी |
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