कबिता

~~~~~छोट कपडा~~~~~~~
लोक देखैत कि कहत, कनिको नै सोहाइए!!



✍👤दिनेश कुमार राम
किए करैछी गुमान एना, नीक नै लोक कहैए!
चलु कनि नीक जकाँ, दुनियाँ क लोक देखैए!!

सारी छोडी कोन बस्त्र, लगौनेछि अहाँ देह पर!
लोक देखैत कि कहत, कनिको नै सोहाइए!!

लगैतो अखन समिज सुरूवाल, इ कोन चिज लगौनेछी!
देखिक  चरित्र अहाँक एहन, हमरा किछ नै फुराइए!!

तैयो कहैछी मैथिल छि हम, देखाबै छि गुमान !
बजार चलैछि जखन अहाँ, कनिको नै लजाइए!!

छोरू धरू छोट  छिन कपडा , पैन्हु मैथिल सारी !
करू अप्पन सँस्कार मैथिल, देखु कतेक नीक बुझाइए!!

दिनेश कुमार राम
सुगा मधुकरही -६ धनुषा
हाल: दोहा कतार।।
कवि - दिनेश कुमार राम जी

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