कबिता

अहाँके अबिते प्रीत केर फूल फुलाएल छै


✍👤 विन्देश्वर ठाकुर 


अहाँके चेहरा हमरा गजलमे नुकाएल छै
लिखिते ई शेर देखू मोन महमहाएल छै

हमर धड्कनमे आब बसैछी अहीँ प्रिय
हमर एहि ठोर प' अहीँके नाम आएल छै

बरषो सँ भेल छलै बज्जर मोनक धरती
अहाँके अबिते प्रीत केर फूल फुलाएल छै

अहीँ के संग रही जिनगीक हर कोन्टा पर
अहीँ के नेह लेल मोन ई सोन्हाएल छै

अहाँके बाप,भाइ अछि बड कसैया ये
मारि के डरे हमर मोन घबराएल छै

✍👤विन्देश्वर ठाकुर
कवि - विन्देश्वर ठाकुर जी

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